Sunday, December 6, 2009

चारो और निराशा का अंधकार फैला है , सरकारे धीरे धीरे पंगु होती जा रही है, राजधानी में ही रोजाना जुर्म हो रहा है,हत्या , बलात्कार , डकैती रॉकेट की स्पीड से बढ़ रही है, और सरकारों के पास स्थिति नियंत्रण में है के अलावा कुछ भी कहने को नहीं रह गया है ऐसे में तो दिल में यही आता है की "हर शाख पे उल्लू बैठा है ....."

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