Tuesday, May 10, 2011

खामोश,कब्ज़ा जारी है..

आज उत्तर प्रदेश के किसान आन्दोलन के बारे में पढ़कर मालामूर्ति माफ़ कीजियेगा मायावती जी को धन्यवाद देने का दिल कर आया की भले ही हम अंग्रेज शाशन काल में नहीं पैदा हुए लेकिन मायावती सरकार ने ये तो दिखा ही दिया की अंग्रेज शासन इससे बर्बर नहीं रहा होगा, और की किस तरह अंग्रेज नील की खेती के लिए किसानो की जमीं कब्जाते थे और उनके इशारे पर हमारी भारतीय पुलिस विरोध करते किसानो के सीने छलनी कर दिया करती थी.

अहसास होता है की किस तरह और किन परिस्थितियों में भगत सिंह जी, चंद्रशेखर आजाद और हजारो क्रन्तिकारी बंदूके लेकर अपनी आराम की जिंदगी छोड़कर निकल पड़े होंगे अंग्रेजो और अपने ही भारतीय पुलिस वालो को सबक सिखाने.

मैंने आज से तीन साल पहले ही बलिया में पुलिसिया गुंडई देखकर लिखा था की यही हाल रहा तो वो दिन दूर नहीं जब पोलिस को भी आम जनता के गुस्से का शिकार होना पड़ेगा, जिस तरह से सहारनपुर से लेकर सोनभद्र तक और बुलंदशहर से लेकर बलिया तक, गाजियाबाद से लेकर गाजीपुर तक और आगरा से लेकर अलाहाबाद तक कही ताज कोरिडोर तो कही गंगा एक्सप्रेस वे तो कही यमुना एक्सप्रेस वे के नाम पर चन्द सिक्को और बंदूको के दम पर किसानो की जमीं कब्जाई जा रही है और जिस तरह जेपी ग्रुप के फायदे के लिए दलितों तक के गाँव के गाँव उजाड़ दिए जा रहे है उससे लोगो में गुस्सा और भड़का है.

आखितर चार महीने से किसान आन्दोलन कर रहे थे तो क्यों नहीं सरकार ने उनकी सुध ली और कब्ज़ा जारी रक्खा ? क्यों ये सरकार हर आन्दोलन को लाठी और गोली से दबाने पर लगी हुई है?

२००७ से आज तक ८ बार यूपी के किसानो पर गोलिया चल चुकी है जिसमे दर्जन भर से ज्यादा किसान मरे गए है.अभी भत्ता गाँव के दर्जनों किसान लापता है और आप जानेगे की इन्हे पुलिस वालों के जानलेवा गुस्से का शिकार होना पड़ा है और शायद ये अब कभी वापस नहीं आयेंगे (और ऐसे कामो में हमारी पुलिस वैसे भी निपुण है) किसानो की बात करने वाले उनके हक़ के लिए आवाज उठाने वालो पर इनाम रखे जा रहे है क्यों नहीं भड़केगा किसानो का गुस्सा ??

कभी पढता था की विदेशी आक्रमण कारी आते थे तो फसलो को जलाते हुए, घरो को आग लगते हुए और गाँव को घेर कर कत्लेआम करते हुए आते थे , आज कमोबेश यही हालत उत्तर प्रदेश में हो गयी है, अब पोलिस को निरंकुश हो गयी है क्युकी उन्हे अपने आकाओं को खुश रखना है..

सरकार को सोचना होगा की आखिर क्यों शांत रहने वाला किसान आज इतना उग्र हो गया है, धरती किसान की माँ होती है, उसके पेट भरने का जरिया होती है और ये कुछ हजार रुपये का मुआवजा जमीन की जगह नहीं ले सकता.

पुलिस के जवानों की मौत का दुःख सबको है लेकिन जब तक पुलिस और पीएसी के जवान इस मानसिकता से नहीं निकालेंगे की वर्दी ने उनको किसी को भी कुचलने का हक दे सिया है , जनता का गुस्सा ऐसे ही फूटता रहेगा, अगर सरकार सोचती है की इस तरह पुलिस, कत्लेआम, दबंगई और और दबाव से इस मामले को शांत कर लिया जायेगा तो ये उसकी भूल है, ये दबाव उस प्रेसर कूकर की तरह विस्फोट करेगा जिसकी भाप नहीं निकल पाती.


सरकार इसे उपद्रव का नाम देकर बच नहीं सकती क्युकी ये किसान आन्दोलन है और ऐसे आन्दोलन इतिहास तक बदल देते है, सरकारे तो बहुत छोटी चीज है.

Friday, April 8, 2011

आव्हान अन्ना के साथ, भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग का एक सिपाही बनने का ..

मेरे दोस्तों और साथियों;

मै अपने हर उस साथी का आव्हान करता हु जो आज देश के बाहर है, चाहे वो दुनिया के किसी भी हिस्से में रह रहे हो..हम कही भी रहे लेकिन देश के लिए अपने फर्ज अपनी जिम्मेदारियों से अलग नहीं हो सकते, देश के कर्ज से मुह नहीं छ्हुपा सकते, इसलिए चाहे अनचाहे हमें भी हर उस घटना का, हर उस किस्से का और हर उस नामी और बदनामी का हिस्सा बना पड़ता है जो भारत के , हमारे देश के हमारी मातृभूमि के साथ जुडी होती है.

आज देश में हालात बहुत खराब चल रहे हैं, सत्ता में बैठी हुई सरकारे देशों और प्रदेशो को बेदर्दी से लूट रही है, नोच खसोट रही है, जनता को सरकारे चुनने की सजा दी जा रही है, कभी संसद खरीदे जा रहे है तो कही ईमान बेचा जा रहहै, आत्मा और जमीर बेचीं जा रही है, देश में लगातार घोटालो की बढ़ आ रही है कभी 70000 करोड़ का कामनवेल्थ घोटाला आता है तो उसके बाद 172000 करोड़ का 2G स्पेक्ट्रुम,सैनिको के घरो पर भ्रष्ट नेता मुख्यमंत्री हथियाते है और उसे आदर्श नाम दिया जाता है तो कभी गेहू एक्सपोर्ट तो कभी चीनी और कभी चावल घोटाला, एक भ्रष्ट अधिकारी को सबसे बड़ा भ्रष्टाचार विरोधी अधिकारी बनाया जाता है तो शरद पवार जैसा भ्रष्ट नेता भ्रष्टाचार निरोधी कमिटी का सदस्य बनाया जाता है. तो कभी एक ख़त्म नहीं होता तब तक दूसरा फिर तीसरा लेकिन हम इसे अंतहीन सिलसिले में नहीं बदलने देंगे क्युकी न तो अब प्रशाशन से उम्मीद है और न ही पार्टियों के तौर पर बीके हुए मिडिया से और राजनीतिज्ञों की बात ही क्या आज तो बौने कद का राजनेता भी करोड़ पति है, कहते है न की "जब बौनों के साये मिलो लम्बे होने लगे तो समझ लेना चाहिए की दिन का अंत आ रहा है "

इसी सोच को लेकर आज हम सबके लिए, हमारी आने वाली पीढियों के लिए आदरणीय श्री अन्ना हजारे जी आमरण अनशन पर बैठे है, ये लड़ाई सिर्फ उनकी नहीं है, हमारी है,हम सब की है; हर हिन्दुस्तानी की है चाहे वो किसी भी जाति, धर्म और मजहब का हो, चाहे किसी भी देश में रहता हो, मेरा आह्वान है आपसे की आप जहा कही भी है भ्रष्टाचार से लड़ने का संकल्प ले, हो सकता है आज तक हमने खुद भी जाने अनजाने भरष्ट लोगो और परिस्थितियों का साथ दिया हो लेकिन अब बस्स और नहीं..
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और अन्ना को आज युवाओ के साथ की जरुरत है, क्युकी हमें ही आगे दुनिया देखनी है , और कहा गया है की
"जिस और जवानी चलती है उस और जमाना चलता है"
युवा का मतलब होता है वायु और अगर ये युवा तूफ़ान बनकर निकल जाय तो भ्रष्टाचार सूखे पत्ते की तरह उड़ जायेगा ...

हमारा है बस एक सवाल
हमको चाहिए जन लोकपाल

जय हिंद , जय भारत

Wednesday, April 6, 2011

सवाल कांग्रेसी दलालों के और जवाब अन्ना के....

सरकारी आरोप, अन्ना के जवाब
1. अभिषेक मनु सिंघवी-अन्ना को कुछ लोगों ने अनशन के लिए उकसाया
अन्ना : मैं बच्चा नहीं कि कोई भड़का कर आमरण अनशन पर बिठा दे
2. जयंती नटराजन-अनशन का अन्ना का फैसला जल्दबाजी में उठाया कदम है
अन्ना : उतावला होने पर खुशी है। भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकारी सुस्ती से सारा देश उतावला हो गया है।
3. वीरप्पा मोइली-अन्ना की मांगों के सिलसिले में सरकार में जीओएम के जरिए प्रक्रिया चल रही है।
अन्ना : अगर मंत्रियों के समूह से भ्रष्टाचार दूर होता तो आज मुल्क की यह हालत नहीं होती।

Thursday, February 24, 2011

मालामुर्ती का दौरा और दलितों की टूटती हड्डिया

आखिर मालामुर्ती ऊप्स मायावती नाम की दौलत की बेटी अपने मांद से बाहर आ ही गयी, जो मायावती कभी अपने सांसदों, विधायको से नहीं मिलती थी, बड़े बड़े सम्मेलनों में जो अपने कार्यकर्ताओं को मानव बम या अछूत समझती थी, और उनसे बचकर जिसला हेलीकाप्टर सीधे वातानुकूलित मंच के पास उतरता था , आज वो प्रदेश के हवाई दौरे पर निकली है, ये अलग बात है की सारे औचक ??? दौरे पूर्व नियोजित होते है, और जनता को इज़ाज़त नहीं होती मायावती से मिलने की , वहा मायावती होती है उनके जूते साफ़ करता कोई चमचा होता है, हाथो में अटैची पकडे अधिकारी होते है, और लोगो के बरिकेडिंग से बाहर निकलने पर टूटते हाथ और हड्डिया और उन्हे तोडती पुलिस की लाठिया होती है..

जो काम पिछले ४ साल से उत्तर प्रदेश की रसातल में जाती कानून व्यवस्था नहीं करवा पाई, हताश होता युवा वर्ग नहीं करवा पाया, सडको पर बहता खून नहीं करवा पाया, दलितों की लुटती इज्ज़त ,सडको पर बहता खून, भूख से मरने की तकदीर नहीं करवा पाई, अपनी बहन जी से चकनाचूर होती उम्मीदे नहीं करवा पाई, जो काम प्रदेश के बिकते थाने और तहसील नहीं करवा पाए, बसपा में भरते गुंडे नहीं करवा पाए और जो काम उत्पीडित लेकिन सुनवाई से लाचार दलित और नकली दलित उत्पीडन में फसता सर्वसमाज नहीं करवा पाया , बलात्कार में नाकाम होने पर दलित लडकियों के कटते हाथ और पैर नहीं करवा पाए वो काम प्रदेश में अगले साल या संभवतः इसी साल होने वाले चुनाव ने करवा दिए,

मालामुर्ती बाहर आ गयी, और उन्होने प्रदेश का दौरा करना शुरू किया , लोगो में उम्मीद जगी की शायद बहन जी अब सुधर गयी है , लेकिन ये क्या मायावती का ये दौरा तो उन गरीब और निरीह लोगो के लिए बवाल साबित हुआ जिनके वोट के दम पर वो तानाशाह और कहने के लिए ही सही लेकिन नोट के दम पर सबसे अमीर मुख्यमंत्री बनी हुई है. ये अलग बात है की वो दलित आज भी भूख से मरता है जैसे की फतेहपुर में एक दलित के पोस्टमार्टम में उसके पेट से सिर्फ पानी निकला, आज भी नेताओं के बांटे नकली कंबलो से ठिठुर ठिठुर कर रात गुजारता है सबसे पहले तो मलामुर्ती के चहेते मंत्री द्वारा करवाई गयी हत्या के शिकार दलित की बेटी को बेहें जी से शिकायत करने की कोशिश करने पर बाल पकड़ कर पॉलिसियो ने खीच कर सड़क पर पटक दिया और अब वो लड़की ही जेल में है, जैसे की बांदा की शीलू निषाद और इटावा में हुआ (महिलाओं के इतना सम्मान मलामुर्ती के राज्य में ही संभव है ).कई जगह धमकी दी गयी की बहन जी से मिले तो मिले हुए आवास भी छीन लिए जायेंगे
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttarpradesh/4_1_7344512_1.html


जहा जहा मुख्यमंत्री गयी वहा वहा कर्फ्यू लगा दिया गया , दलित माहिलाओ को उठाया गया, दलितों की फसलो को उखाड़ कर बहन जी के लिए हेलीपैड बनाये गए और पीड़ित को ही थाने में रख दिया गया
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttarpradesh/4_1_7344483_1.html



..और तो और बहन जी से मिलने की कोशिश करते एक दलित युवक की तो पोलिसे वालो ने मार कर हाथ पैर तोड़ दिया और उसे गठरी बना कर गली में फेक कर भूल गए , वो ता भला हो मानवता की कुछ लोग उन्हे अस्पताल ले गएये दलित युवक इस अहसान फरामोश को में अपने हाथो 1993 से नाश्ता परोस चुका था,

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttarpradesh/4_1_7344495_1.html

और चलते चलते: लेकिन मालामुर्ती जान ले की जनता 4 साल से देख रही है की कही मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी का उद्घाटन किया हुआ पुल दुसरे दिन भरभराकर ढह गया तो कही स्कूल की छत जमिन्दोज़ हो गयी, कही हजरत गंज में लंप पोस्ट गिरने से युवक मर जाता है तो कही सड़क ही पूरी धंस जाती है, ६ मंत्री लोकायुक्त की जांच में है तो जनता के दबाव और अदालत के निर्देश पर बसपा के दर्जनों विधायक और मंत्री जेल में है, सचिवालय का अधिकारी वसूली का कोटा पूरा न कर पाने पर आत्महत्या कर लेता है तो बुंदेलखंड में इमानदार और लोकप्रिय कलक्टर को निपटाया जाता है तो पूर्वांचल में दण्डित भ्रष्ट अधिकारी से अटैची लेकर सजा माफ़ कर दी जाती है, ये घाव ये नासूर इन दौरों से नहीं भरेंगे मालामुर्ती जी...

Friday, January 21, 2011

सोनिया के स्विस खातों में जमा है दस हजार करोड़

जिस दिन कैबिनेट का विस्तार किया गया उस दिन पत्रकारों ने प्रधानमंत्री से पूछा कि देश के बाहर रखे काले धन के बारे में उनकी सरकार क्या फैसला ले रही है तो प्रधानमंत्री ने विभिन्न देशों से संधियों का हवाला देते हुए कहा था कि ऐसा करना संभव नहीं है. लेकिन क्या प्रधानमंत्री सच बोल रहे हैं? ईमानदारी में आकंठ डूबे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह क्या सोनिया गांधी सहित उन लोगों को बचाने की कवायद कर रहे हैं जिनके पैसे स्विस बैंकों में जमा हैं?

हालांकि अभी तक न तो केन्द्र सरकार की ओर से वह लिस्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गयी है जो उसे जर्मन सरकार से प्राप्त हुई है और न ही विकीलीक्स ने उन नामों का खुलासा किया है जो भारत से संबंध रखते हैं और जिनका काला धन स्विस बैंकों में जमा है. लेकिन ऐसे वक्त में एक पुराने खुलासे को लोग भूल रहे हैं जो आज से बहुत पहले 1991 में हुआ था. यह वही साल था जब राजीव गांधी की निर्मम हत्या कर दी गयी थी इसलिए इस खुलासे पर उस वक्त देश ने बहुत कान नहीं दिया था. क्योंकि यह खुलासा उनकी हत्या के छह महीने बाद 19 नवंबर 1991 को हुआ था.

यह खुलासा किसी और ने नहीं बल्कि स्विटजरलैण्ड की पापुलर मैगजीन स्वेजर इलस्ट्रेट ने किया था. जिसका सर्कुलेशन सवा दो लाख कॉपी का है और जिसे करीब नौ लाख लोग पढ़ते हैं. स्वेजर इलस्ट्रेट के 19 नवंबर 1991 के अंक में केजीबी के सार्वजनिक हुए रिकार्ड के हवाले से एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें उसने बताया था कि राजीव गांधी ने घूस मिले धन को स्विस बैंकों में जमा करवाया है. स्वेजर इलस्ट्रेट ने बताया था कि "राजीव गांधी के इन गुप्त खातों को सोनिया गांधी संचालित करती हैं. राजीव गांधी की मौत के बाद ये खाते राहुल गांधी के नाम से संचालित किये जाते हैं. उस वक्त स्वेजर इलस्ट्रेट ने खुलासा किया था कि राजीव गांधी (बाद में राहुल गांधी) के नाम से चलनेवाले इन खातों में 2.5 अरब स्विस फ्रेंक जमा हैं. ये पैसे 1988 से पहले स्विस खातों में जमा करवाये गये थे. आज अगर हम केवल उतने ही धन का भारतीय रूपयों में मूल्यांकन करें तो आंकड़ा करीब 10,000 करोड़ का बैठता है. यह बात दीगर है कि उसके बाद 2004 से केन्द्र में सोनिया गांधी की अगुवाई वाली यूपीए सरकार काम कर रही है और न जाने इस धन में कितना इजाफा हुआ होगा. लेकिन आधिकारिक तौर पर इतना तो कहा ही जा सकता है कि राहुल गांधी के नाम पर स्विस खातों में दस हजार करोड़ रूपये जमा हैं.फिर भी काले धन पर काम रहे लोगों का आंकलन है कि सोनिया गांधी के स्विस नियंत्रित खातों में ही आज कम से कम 45 हजार करोड़ से 85 हजार करोड़ रूपये के बीच कोई राशि जमा हो सकती है.

फिर भी इस पुराने खुलासे को याद करते हुए हमें स्विस बैंक के नये खातों में जमा काले धन के खुलासों का इंतजार है.

FROM: VISFOT

Friday, January 7, 2011

कश्मीर और तिरंगा...


आज कल एक न्यूज़ पढ़ रहा हु की भारतीय जनता पार्टी, जो की अपने गुटबाजी और नजदीक के फायदे के चक्कर में दूर का नुकसान न देख सकने की वजह से देश में लगातार सिकुड़ती जा रही है, वो तो भला हो गुजरात, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड का का जिन्होने शान बनाये रक्खी है और हाल ही में संपन्न हुए बिहार विधानसभा चुनावों के 90% की सफलता दर का भी जिक्र करना समीचीन होगा ने अपनी प्रासंगिकता और सुर्खियों में रहने के लिए नया लेकिन प्रासंगिक टोटका खोजा, पदयात्रा और कश्मीर के लाल चौक पर झंडा रोहन..

तो भाई, भारतीय जनता पार्टी के युवा नेता और सांसद अनुराग ठाकुर ने निशचय किया की वो कोलकाता से कश्मीर तक भारत की अखंडता के लिए एक पदयात्रा निकालेंगे और श्रीनगर के ऐतिहासिक विख्यात या कुख्यात जो भी कह ले, लाल चौक पर तिरंगा फहराएंगे, एक नजर देखने में तो ये एक सीधी सी योजना लगती है और इसमें कुछ भी गलत नहीं लगता लेकिन व्यक्तिगत रूप से घाटी के जो हालत है उससे मुझे भी लगता है की ये समय सही नहीं था, लेकिन अब इस कदम ने एक बहुत बडे़ विवाद को जन्म दे दिया

समस्या की शुरुआत हुई एक देशद्रोही, कश्मीर के गली के कुत्ते यासीन मालिक नाम के गद्दार के इस बयान से की लाल चौक पर तिरंगा नहीं फहराने देंगे,
http://in.jagran.yahoo.com/news/national/politics/5_2_7133622.html


जैसे की लाल चौक इनके पिताजी ने इन्हे बपौती छोडी़ हो...लेकिन मुझे लगा की जैसे भारत सरकार कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग मानती है और हाल ही में सपा नेता मोहम्मद आज़म खान के उस बयान पर की गुलाम नबी आजाद तो कश्मीरी है, भाजपा के ही साथ कांग्रेस के सभी देश और प्रदेश स्तर के नेताओं ने खूब फुदक मचाई थी और भारत को कश्मीर का अभिन्न अंग बताया और आज़म साहब और समाजवादी पार्टी पर बयानों की बम वर्षा कर दी तो मुझे लगा की शायद अब बेचारे मानसिक रोगी, विक्छिप्त यासीन को जेल में दाल दिया जाय और लाल चौक पर मुख्यमंत्री खुद जाय तिरंगा फहराने..

लेकिन आश्चर्य !!!!!!! जम्मू- कश्मीर का बच्चा सा मुख्यमंत्री फुदका और उसने कहा की अगर लाल चौक पर भारतीय तिरंगा फहराया गया तो हालत बिगड़ जायेंगे और उसकी जिम्मेदारी भाजपा की होगी..

http://in.jagran.yahoo.com/news/national/politics/5_2_7134304.html

सुन कर मै आश्चर्यचकित रह गया...आखिर किस तरह के लोकतंत्र में रहते है हम जहा अपने देश में अपना राष्ट्रिय ध्वज नहीं फहराया जा सकता.....क्यों एक दो कौडी़ का गुंडा पाकिस्तान का ध्वज फहरा सकता है और भारतीय ध्वज फहराए जाने पर धमकी देने की हिम्मत कर सकता है....क्यूँ नहीं ऐसे लोगो को जेल में डालना चाहिए, या नजरबन्द कर देना चाहिए और या फिर गोली मार देनी चाहिए...क्यों ज्यादातर कश्मीरी मुस्लिम युवा आतंकवादी मार दिए जाते है जिन्हे की सुधार जा सकता है और आतंकवाद की नर्सरी ये कुत्ते देश के पैसे और सुविधाए खाकर नेता बने रहते है..
.आखिर कब तक हम पत्तिया तोड़ कर पेड़ के गिरने का इंतजा़र करेंगे, क्यों नहीं पेड़ की जड़ को ही काट दिया जाता ??

एक भारतीय होने के नाते मै महसूस करता हु की अब भाजपा भले ही अपने कार्यक्रम से हट जाये लेकिन जम्मू कश्मीर और भारत सरकार को लाल चौक पर झंडा फहराना चाहिए और ये भी जनता हु की ज्यादातर कश्मीरी भी इस बात से सहमत होंगे सिर्फ यासीन और उसके जैसे कुछ देशद्रोहियों के अलावा, ये वक़्त है साबित करने के की कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है.....और अगर कांग्रेस या अब्दुल्लाह साहब देश के मुकुट को नहीं संभाल सकते तो सिर्फ कोरी बयान बाजी और अखबारों में कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बताना बंद करे....