Monday, February 22, 2010

नक्सलियों का विस्तार

अगर सरकार वाकई में नक्सली समस्या से निपटना चाहती है तो देश के गरीब चालीस करोड़ जनता के हितों को लेकर फैसला ले। नहीं तो नक्सली दिल्ली में भी आकर बैठ जाएंगे। लोगों का जीना हराम है। आमदनी है नहीं खर्चा काफी है। दाल और आटा ही लोगों को नहीं मिलेगा तो वे क्या करेगा। भीख मांगेगा या हथियार उठाएगा। देश में कारपोरेट को अमीर करने की जो नीति मनमोहन सिंह ने बनायी है, उससे देश में स्थिति और भयानक होगी। इस देश में गरीब को रोटी नहीं मिलती। दाल खरीदना जाता है तो कमाई से चार दाने दाल आता है। इलाज करवाने जाता है तो चार दवाई खरीदने के लिए जेब में पैसे नहीं है।सरकार ईमानदारी से गरीबों के हितों में काम करे, नक्सलियों का विस्तार खुद ही रुकेगा।

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