Friday, January 22, 2010

आज समाजवाद के शालाका पुरुष चले गये, आज एक वो नेता जो सिर्फ़ नाम से ही नही बल्कि मनसा, वाचा, कर्मना छोटे लोहिया थे, आज श्री जनेश्वर मिश्र जी चले गये..और सुनकर मॅ अपने दिल के दर्द और आँखो के आसूओ को छुपा नही पाया.भारतीय राजनीति मे बड़े बड़े विचारक हुए , लेकिन जो जितना बड़ा विचारक बना जनता से उसकी पहुच उतनी ही दूर होती ग...यी..लेकिन स्वर्गिया श्री जनेश्वर जी इसके अपवाद थे..
इनका प्रशनशक तो मई शूरू से थे लेकिन बलिया उपचुनाव का इनका वाक्य की " ये चुनाव नीरज शेखर बनाम विनय शंकर नही बल्कि चंद्रशेखर बनाम हरिशंकर है " ने जब चुनावी फ़िज़ा ही बदल दी और गुणडई और दबँगाई के नंगे नाच के साथ सत्ता के पूर्णरूपेण दुरुपयोग के बाद भी जब नीरज शेखर जी जीते तो मुझे लगा की शब्दो का आप सचमुच जनता की नब्ज़ पर पकड़ रखते थे..

आज सिर्फ़ समाजवादी पार्टी ने ही नही बल्कि अल्लहाबाद ने भी अपना एक बहुत ही कीमती मोटी खो दिया, हिन्दुस्तान के लिए ये एक अपूरणिया क्षति है..बड़ी इच्छा थी या यू कहे की प्यास थी की भारत जाकर इनके सान्निंध्य का सुख प्राप्त करूँगा और गयाँ के चार मोटी लूँगा लेकिन शायद ईश्वर को ये मंजूर नही था और यही जीवन है इन्ही शब्दो के साथ की ईश्वर इन्हे फिर से इन्ही तेजस्वी विचारो के साथ हमारे बीच भेजे और आप फिर से आम जनता की लड़ाई लड़े----------आपका प्रशन्श्क

1 comment:

  1. bhai saheb aap to kavi ho gaye hai. bahut achha likhe hai maya murti ke bare me. wo hathi nahi hai suwar hai.jo kewal khoon choosna janti hai. us se aur kisi kaam se matlab nahi hai. dalito ke name per ayyasi kar rahi hai.

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