विधान परिषद के चुनावी नतीजो ने एक बात फिर दिखाया की कैसे बाहुबल, सत्ता तंत्र और भ्रष्टतंत्र के सामने सोया हुआ जनतंत्र हार जाता है..या यू कहू की कुचल जाता है, लेकिन इसके साथ ही एक बात और साबित हुई है की भले ही मीडीया या स्वघोषित राजनैतिक विश्लेषक जो भी भौकें अगर उत्तर प्रदेश मे बसपा को कोई टक्कर दे सकता है तो वो सपा ही है,
और जिस तरह से सरकारी अधिकारियो को पालतू ....बना दिए जाने के बाद भी जीत का जो अंतर रहा तथा जिस तरह २५ से ज़्यादा जगहो पर पार्टी ने दूसरा स्थान पाया उससे साबित होता है की सपा मे जनता का विश्वास अब भी है..
भारतीय राजनीति के युवराज को उनके सिपहसालार कितनी गंभीरता से लेते है ये भी दिख गया इन चुनावों मे, बसपा विरोध कीबातों के बावजूद कई जगहो पर क्षेत्रीय मठाधिशो ने पार्टी के प्रत्याशी ना उतार कर बसपा को सहयोग किया, साबित हो गया की या तो कांग्रेस और बसपा नूरा कुश्ती खेल रहे है या तो राहुल गाँधी की बतो का पार्टी मे एक गुंडे नेता प्रोमोद तिवारी और मुहफट बेनी वर्मा के सामने नही चलती..अगर ऐसा नही है तो कांग्रेस नैतिक साहस दिखाए और इनके खिलाफ कार्यवाई करे जो की संभव ही नही है...
जिस तरह के गुण्डों के लिए कमिश्नर से लेकर आईजी तक और सिपाही से लेकर लेखपाल तक ने सरकारी वफ़ादारी दिखानेमे सर्वाधिक वफ़ादार कहे जाने वाले जानवर को भी पीछे छोड़ दिया, और जिस तरह गुंडे माफियाओ ने प्रदेश मे अपहरण और पंचायत प्रतिनिधियो की हत्या तक करने मे संकोच नही किया ये स्पष्ट संकेत है की अगर उत्तर प्रदेश नही जगा तो आने वाला वक़्त घरो मे भी व्यक्ति सुरक्षित नही होगा..
...
अब जनता जान चुकी है की उनकी लड़ाई ना तो कांग्रेस और ना भाजपा के बस की है, बस समाजवादी पार्टी को पुनरावलोकन और आत्मनिरीक्षण के बाद जनता दरबार मे जाने की ज़रूरत है..जिस दिन सेंट्रल पोलीस के नीचे चुनाव हुए बसपा सरकार की चूले हिल जाएँगी.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment