अभी हाल ही में पुष्य मित्र भाई का का एक आलेख पढ़ा, जिसमे उन्होने लिखा है कि "बलात्कार अपराध के तौर पर निःसंदेह बहुत ही गंभीर है और बलात्कारी को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए, लेकिन मेरे हिसाब से बलात्कार कतई एक क्षुद्र किस्म की क्षति से अधिक नहीं है. इतनी भी नहीं कि इसे आपकी कानी उंगली के कटने के बराबर माना जाये." (पुष्यमित्र जी ) वैसे जो हमारी मानसिकता बन चुकी है उसमे हमारी दुनिया में बलात्कार ही एकमात्र ऐसा अपराध है जिसमें दोषी की इज्जत का तो पता नहीं, पीड़ित की इज्जत निश्चित तौर पर चली जाती है, और कुछ यही हमें आज तक बालीवुड में भी दिखाया जाता है की बलात्कारी तो अट्टहास करता है और पीडिता किसी ऊँची पहाड़ी से कूदकर आत्महत्या , इस ट्रेंड को बदलना होगा, बलात्कार को एक दुर्घटना से अधिक कुछ भी मानने की मानसिकता से बाहर आना होगा , तभी पीड़िता के बजाय अपराधी को सज़ा मिलेगी और पीडिताएं समाज में सम्मान से जी सकेंगी....
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