अभी हाल ही में पुष्य मित्र भाई का का एक आलेख पढ़ा, जिसमे उन्होने लिखा है कि "बलात्कार अपराध के तौर पर निःसंदेह बहुत ही गंभीर है और बलात्कारी को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए, लेकिन मेरे हिसाब से बलात्कार कतई एक क्षुद्र किस्म की क्षति से अधिक नहीं है. इतनी भी नहीं कि इसे आपकी कानी उंगली के कटने के बराबर माना जाये." (पुष्यमित्र जी ) वैसे जो हमारी मानसिकता बन चुकी है उसमे हमारी दुनिया में बलात्कार ही एकमात्र ऐसा अपराध है जिसमें दोषी की इज्जत का तो पता नहीं, पीड़ित की इज्जत निश्चित तौर पर चली जाती है, और कुछ यही हमें आज तक बालीवुड में भी दिखाया जाता है की बलात्कारी तो अट्टहास करता है और पीडिता किसी ऊँची पहाड़ी से कूदकर आत्महत्या , इस ट्रेंड को बदलना होगा, बलात्कार को एक दुर्घटना से अधिक कुछ भी मानने की मानसिकता से बाहर आना होगा , तभी पीड़िता के बजाय अपराधी को सज़ा मिलेगी और पीडिताएं समाज में सम्मान से जी सकेंगी....
Tuesday, January 8, 2013
Thursday, January 3, 2013
108, समाजवादी एम्बुलेंस सेवा.........
108,
एक नंबर जो आने
वाले दिनों में प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं में एक मील का पत्थर साबित होगा, तस्वीर बदल देगा देगा स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की, मुख्यमंत्री माननीय अखिलेश अखिलेश यादव जी को
सलाम करता हु,
कल 02 जनवरी की भोर में 4:30 पर मेरा खुद का ऐसा अनुभव हुआ की मै सुखद आश्चर्य से भर उठा, मेरे घर के पास स्थित हरिजान बस्ती से कुछ लोग हमारी सगड़ी (तीन पहिये की साईकिल) मांगने आये एक प्रसव पीडिता को अस्पताल ले जाने के लिए और इत्तेफाक से सगड़ी का टायर फट चूका था और पापा गाड़ी लेकर बनारस गए हुए थे और पीडिता साईकिल पर जाने की हालत में नहीं थी, पैदल जाना भी उसके लिए मुश्किल था तो उसका पति और देवर ये कह कर की की कोई बात नहीं हम चारपाई पर लेकर चले जायेंगे अपने घर चले गए और मैं अपने बिस्तर पर.......
लेकिन मेरी आँखों
की नींद उड़ चुकी थी और मैं परेशांन था की ये कैसे पहुचेंगे अस्पताल, इस ठण्ड में एक बीमार का चारपाई पर जाना, यकायक मेरे दिमाग में धनतेरस के दिन बाबुल भाई
और असित भाई के साथ देखी हुई समाजवादी एम्बुलेंस सेवा की याद आ गयी और
मैंने लेटे-लेटे 108
डायल किया , कुछ ही क्षणों बाद फोन उठा और मुझसे समस्या और पता पूछी गयी और बताया गया की यद्यपि भदोही नजदीक था
लेकिन एक जिले में एक ही जिले की अम्बुलेंस जाएगी और मुझे ड्राईवर से कांटेक्ट
कराया गया, मैंने उसे पता बताया और लोकल न होने की वजह से
थोड़ी दिक्कत आयी लेकिन आश्चर्य पीडिता के चारपाई पर निकल कर घर से 100 मीटर जाते जाते अमबुलंस उनके सामने थी और पीड़ित महिला के पति और सास
रोने लग गए और मुझे दुआये देने लग गए और मैंने कहा की उन दुआओं का असली
हक़दार वहां लखनऊ में बैठा हुआ है ............ आज वो महिला एक स्वस्थ बिटिया की मा
है और उन्हे ख़ुशी इस बात की भी थी की उनसे एक भी पैसा नहीं लिया गया,,,,
आपको दिल की
गहराइयो से दुआ और धन्यवाद भैया आपके ये छोटे छोटे कदम प्रदेश की तकदीर बदल देंगे
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