जिस दिन कैबिनेट का विस्तार किया गया उस दिन पत्रकारों ने प्रधानमंत्री से पूछा कि देश के बाहर रखे काले धन के बारे में उनकी सरकार क्या फैसला ले रही है तो प्रधानमंत्री ने विभिन्न देशों से संधियों का हवाला देते हुए कहा था कि ऐसा करना संभव नहीं है. लेकिन क्या प्रधानमंत्री सच बोल रहे हैं? ईमानदारी में आकंठ डूबे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह क्या सोनिया गांधी सहित उन लोगों को बचाने की कवायद कर रहे हैं जिनके पैसे स्विस बैंकों में जमा हैं?
हालांकि अभी तक न तो केन्द्र सरकार की ओर से वह लिस्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गयी है जो उसे जर्मन सरकार से प्राप्त हुई है और न ही विकीलीक्स ने उन नामों का खुलासा किया है जो भारत से संबंध रखते हैं और जिनका काला धन स्विस बैंकों में जमा है. लेकिन ऐसे वक्त में एक पुराने खुलासे को लोग भूल रहे हैं जो आज से बहुत पहले 1991 में हुआ था. यह वही साल था जब राजीव गांधी की निर्मम हत्या कर दी गयी थी इसलिए इस खुलासे पर उस वक्त देश ने बहुत कान नहीं दिया था. क्योंकि यह खुलासा उनकी हत्या के छह महीने बाद 19 नवंबर 1991 को हुआ था.
यह खुलासा किसी और ने नहीं बल्कि स्विटजरलैण्ड की पापुलर मैगजीन स्वेजर इलस्ट्रेट ने किया था. जिसका सर्कुलेशन सवा दो लाख कॉपी का है और जिसे करीब नौ लाख लोग पढ़ते हैं. स्वेजर इलस्ट्रेट के 19 नवंबर 1991 के अंक में केजीबी के सार्वजनिक हुए रिकार्ड के हवाले से एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें उसने बताया था कि राजीव गांधी ने घूस मिले धन को स्विस बैंकों में जमा करवाया है. स्वेजर इलस्ट्रेट ने बताया था कि "राजीव गांधी के इन गुप्त खातों को सोनिया गांधी संचालित करती हैं. राजीव गांधी की मौत के बाद ये खाते राहुल गांधी के नाम से संचालित किये जाते हैं. उस वक्त स्वेजर इलस्ट्रेट ने खुलासा किया था कि राजीव गांधी (बाद में राहुल गांधी) के नाम से चलनेवाले इन खातों में 2.5 अरब स्विस फ्रेंक जमा हैं. ये पैसे 1988 से पहले स्विस खातों में जमा करवाये गये थे. आज अगर हम केवल उतने ही धन का भारतीय रूपयों में मूल्यांकन करें तो आंकड़ा करीब 10,000 करोड़ का बैठता है. यह बात दीगर है कि उसके बाद 2004 से केन्द्र में सोनिया गांधी की अगुवाई वाली यूपीए सरकार काम कर रही है और न जाने इस धन में कितना इजाफा हुआ होगा. लेकिन आधिकारिक तौर पर इतना तो कहा ही जा सकता है कि राहुल गांधी के नाम पर स्विस खातों में दस हजार करोड़ रूपये जमा हैं.फिर भी काले धन पर काम रहे लोगों का आंकलन है कि सोनिया गांधी के स्विस नियंत्रित खातों में ही आज कम से कम 45 हजार करोड़ से 85 हजार करोड़ रूपये के बीच कोई राशि जमा हो सकती है.
फिर भी इस पुराने खुलासे को याद करते हुए हमें स्विस बैंक के नये खातों में जमा काले धन के खुलासों का इंतजार है.
FROM: VISFOT
Friday, January 21, 2011
Friday, January 7, 2011
कश्मीर और तिरंगा...
आज कल एक न्यूज़ पढ़ रहा हु की भारतीय जनता पार्टी, जो की अपने गुटबाजी और नजदीक के फायदे के चक्कर में दूर का नुकसान न देख सकने की वजह से देश में लगातार सिकुड़ती जा रही है, वो तो भला हो गुजरात, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड का का जिन्होने शान बनाये रक्खी है और हाल ही में संपन्न हुए बिहार विधानसभा चुनावों के 90% की सफलता दर का भी जिक्र करना समीचीन होगा ने अपनी प्रासंगिकता और सुर्खियों में रहने के लिए नया लेकिन प्रासंगिक टोटका खोजा, पदयात्रा और कश्मीर के लाल चौक पर झंडा रोहन..
तो भाई, भारतीय जनता पार्टी के युवा नेता और सांसद अनुराग ठाकुर ने निशचय किया की वो कोलकाता से कश्मीर तक भारत की अखंडता के लिए एक पदयात्रा निकालेंगे और श्रीनगर के ऐतिहासिक विख्यात या कुख्यात जो भी कह ले, लाल चौक पर तिरंगा फहराएंगे, एक नजर देखने में तो ये एक सीधी सी योजना लगती है और इसमें कुछ भी गलत नहीं लगता लेकिन व्यक्तिगत रूप से घाटी के जो हालत है उससे मुझे भी लगता है की ये समय सही नहीं था, लेकिन अब इस कदम ने एक बहुत बडे़ विवाद को जन्म दे दिया
समस्या की शुरुआत हुई एक देशद्रोही, कश्मीर के गली के कुत्ते यासीन मालिक नाम के गद्दार के इस बयान से की लाल चौक पर तिरंगा नहीं फहराने देंगे,
http://in.jagran.yahoo.com/news/national/politics/5_2_7133622.html
जैसे की लाल चौक इनके पिताजी ने इन्हे बपौती छोडी़ हो...लेकिन मुझे लगा की जैसे भारत सरकार कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग मानती है और हाल ही में सपा नेता मोहम्मद आज़म खान के उस बयान पर की गुलाम नबी आजाद तो कश्मीरी है, भाजपा के ही साथ कांग्रेस के सभी देश और प्रदेश स्तर के नेताओं ने खूब फुदक मचाई थी और भारत को कश्मीर का अभिन्न अंग बताया और आज़म साहब और समाजवादी पार्टी पर बयानों की बम वर्षा कर दी तो मुझे लगा की शायद अब बेचारे मानसिक रोगी, विक्छिप्त यासीन को जेल में दाल दिया जाय और लाल चौक पर मुख्यमंत्री खुद जाय तिरंगा फहराने..
लेकिन आश्चर्य !!!!!!! जम्मू- कश्मीर का बच्चा सा मुख्यमंत्री फुदका और उसने कहा की अगर लाल चौक पर भारतीय तिरंगा फहराया गया तो हालत बिगड़ जायेंगे और उसकी जिम्मेदारी भाजपा की होगी..
http://in.jagran.yahoo.com/news/national/politics/5_2_7134304.html
सुन कर मै आश्चर्यचकित रह गया...आखिर किस तरह के लोकतंत्र में रहते है हम जहा अपने देश में अपना राष्ट्रिय ध्वज नहीं फहराया जा सकता.....क्यों एक दो कौडी़ का गुंडा पाकिस्तान का ध्वज फहरा सकता है और भारतीय ध्वज फहराए जाने पर धमकी देने की हिम्मत कर सकता है....क्यूँ नहीं ऐसे लोगो को जेल में डालना चाहिए, या नजरबन्द कर देना चाहिए और या फिर गोली मार देनी चाहिए...क्यों ज्यादातर कश्मीरी मुस्लिम युवा आतंकवादी मार दिए जाते है जिन्हे की सुधार जा सकता है और आतंकवाद की नर्सरी ये कुत्ते देश के पैसे और सुविधाए खाकर नेता बने रहते है..
.आखिर कब तक हम पत्तिया तोड़ कर पेड़ के गिरने का इंतजा़र करेंगे, क्यों नहीं पेड़ की जड़ को ही काट दिया जाता ??
एक भारतीय होने के नाते मै महसूस करता हु की अब भाजपा भले ही अपने कार्यक्रम से हट जाये लेकिन जम्मू कश्मीर और भारत सरकार को लाल चौक पर झंडा फहराना चाहिए और ये भी जनता हु की ज्यादातर कश्मीरी भी इस बात से सहमत होंगे सिर्फ यासीन और उसके जैसे कुछ देशद्रोहियों के अलावा, ये वक़्त है साबित करने के की कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है.....और अगर कांग्रेस या अब्दुल्लाह साहब देश के मुकुट को नहीं संभाल सकते तो सिर्फ कोरी बयान बाजी और अखबारों में कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बताना बंद करे....
Subscribe to:
Posts (Atom)