भारत एक गरीब देश है। यहां गरीबी की सरकारी रेखा के नीचे तीस करोड़ से ज्यादा लोग रहते हैं जितनी इंग्लैंड की आबादी भी नहीं है। कालाहांडी में भूख से हर साल लोग मरते हैं और जो लोग बच जाते हैं वे दूर दूर के शहरों में कहीं रिक्शा चलाते हैं तो कहीं मजदूरी करते हैं।
पर क्या वास्तव में भारत एक गरीब देश है? मैं आपको भारत के साधनों, संसाधनों, संस्कृति और एक जमाने में सोने की चिड़िया वाला प्रवचन देने नहीं जा रहा। आपको एक सच बताना है और वह सच यह है कि अगर काला धन स्विस बैंकों में रखना अगर ओलंपिक या कॉमनवेल्थ का कोई खेल होता तो भारत एक झटके में रूस, अमेरिका और चीन सबको परास्त कर देता।
स्विट्जरलैंड में भारतीय लालाओं और नेताओं का जो काला धन जमा हैं उसकी अगर टॉप 5 की सूची बनाई जाए तो भारत सबसे शिखर पर हैं। अमेरिका तो बेचारा इतना पैसा होने के बावजूद टॉप 5 में नहीं है। वैसे भी अमेरिका के लोग स्विस बैंक की बजाय पाकिस्तान, अफगानिस्तान और इराक पर पैसा खर्च करना ज्यादा पसंद करते है। अच्छी खबर यह है कि बहुत लंबी कसरत के बाद स्विजट्जरलैंड की सरकार भारत के लोगों द्वारा वहां जमा पैसा बताने और शायद वापस करने पर राजी हो गई है। एक मोटे आंकड़े के हिसाब से पंद्रह सौ अरब डॉलर से ज्यादा काला धन विदेशी बैंकों में जमा हैं और यह रकम भारत पर सारे विदेशों कर्जों से तेरह गुना ज्यादा है।
यह रकम मधु कोडा जैसे नेताओं की हैं, भ्रष्ट आईएएस, आईआरएस, आईपीएस और आईएफएस अफसरों की है। आप अगर वीजा और पासपोर्टो की सूची बनाएं तो ये लोग सबसे ज्यादा यात्राएं स्विट्जरलैंड की ही करते हैं और वे सिर्फ वहां की सुंदरता देखने नहीं जाते। अगर यह सारा पैसा वापस आ जाए तो भारत में 45 करोड़ लोगों को एक एक लाख रुपए मिल सकते हैं और गरीबी की सीमा रेखा कब की गायब हो जाएगी। 24 घंटे में हम सारा विदेशी कर्ज उतार सकते हैं और इसके बाद भी हमारे पास अपार पैसा बचा रह जाएगा। सिर्फ इसके ब्याज से भारत का सालाना बजट पेश किया जा सकता हैं।
जाहिर है कि अपने देश में कुछ के पास है तो बहुत हैं और बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो भूखे रहने पर मजबूर हैं और उनके बच्चे मजदूरी करते हैं।गरीबी और अमीरी के बीच जो खाई है उस पर पुल बनाने की कोई कोशिश नहीं की गई। क्योंकि अगर पुल बन जाएगा तो भूखे मर रहे लोग इस पार के समाज में आ जाएंगे और जब देखेंगे कि उनकी कीमत पर ये समाज इसके कुछ लोग ऐश कर रहे हैं तो उनकी मुद्रा हमलावर होगी
Tuesday, June 8, 2010
Subscribe to:
Posts (Atom)